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Saturday, January 25, 2020

संस्कार का जीवन में बहुत महत्व होता है

*--संस्कार का जीवन में बहुत महत्व होता है--*
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--एक राजा के पास सुन्दर घोड़ी थी,कई बार युद्व में इस घोड़ी ने राजा के प्राण बचाये थे! और घोड़ी राजा के लिए पूरी वफादार थी,कुछ दिनों के बाद इस घोड़ी ने एक बच्चे को जन्म दिया!बच्चा काना पैदा हुआ,पर शरीर हृष्ट पुष्ट व सुडौल था! *--बच्चा बड़ा हुआ,बच्चे ने मां से पूछा: मां मैं बहुत बलवान हूँ,पर काना हूँ.. यह कैसे हो गया?*
--इस पर घोड़ी बोली : बेटा जब मैं गर्भवती थी,तू पेट में था!तब राजा ने मेरे उपर सवारी करते समय मुझे एक कोड़ा मार दिया,जिसके कारण तू काना हो गया! यह बात सुनकर बच्चे को राजा पर गुस्सा आया और मां से बोला: मां मैं इसका बदला लूंगा!
*-मां ने कहा राजा ने हमारा पालन-पोषण किया है!तू जो स्वस्थ है,सुन्दर है,उसी के पोषण से तो है! यदि राजा को एक बार गुस्सा आ गया तो इसका अर्थ यह नहीं है कि हम उसे क्षति पहुचायें!*
--पर उस बच्चे के समझ में कुछ नहीं आया,उसने मन ही मन राजा से बदला लेने की सोच ली!एक दिन यह मौका घोड़े को मिल गया,राजा उसे युद्व पर ले गया!युद्व लड़ते-लड़ते राजा एक जगह घायल हो गया,घोड़ा उसे तुरन्त उठाकर वापिस महल ले आया!
*--इस पर घोड़े को ताज्जुब हुआ,और मां से पूछा : मां आज राजा से बदला लेने का अच्छा मौका था!पर युद्व के मैदान में बदला लेने का ख्याल ही नहीं आया और न ही ले पाया! मन ने गवाही नहीं दी!*
--इस पर घोडी हंस कर बोली: बेटा तेरे खून में और तेरे संस्कार में धोखा है ही नहीं!तू जानबूझकर तो धोखा दे ही नहीं सकता है! *-तुझसे नमक हरामी हो नहीं सकती, क्योंकि तेरी नस्ल में तेरी मां का ही तो अंश है!*
--वाकई.. यह सत्य है कि जैसे हमारे संस्कार होते हैं, वैसा ही हमारे मन का व्यवहार होता है! हमारे पारिवारिक-संस्कार अवचेतन मस्तिष्क में गहरे बैठ जाते हैं!
*-माता-पिता जिस संस्कार के होते हैं,उनके बच्चे भी उसी संस्कारों को लेकर पैदा होते हैं!हमारे कर्म ही 'संस्‍कार' बनते हैं और संस्कार ही प्रारब्धों का रूप लेते हैं! यदि हम कर्मों को सही व बेहतर दिशा दे दें तो संस्कार अच्छे बनेगें और संस्कार अच्छे बनेंगे तो जो प्रारब्ध का फल बनेगा,वह मीठा व स्वादिष्ट होगा!*
--कहानी की शिक्षा:-
--हमें प्रतिदिन कोशिश करनी चाहिए कि हमसे जानबूझकर कोई गलत काम ना हो!और हम किसी के साथ कोई छल कपट या धोखा भी ना करें!
*-बस,इसी से ही स्थिति अपने आप ठीक होती जायेगी!और हर  परिस्थिति में प्रभु की शरण ना छोड़ें तो अपने आप सब अनुकूल हो जाएगा!*

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